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कोख किराए से…

क्याहुआ माँ?…बहुतथक गयी होशायद…” सोहन नेकाम पर सेलौटी अपनी माँराधा से पुछा! “हाँ, बेटा..आज तोशर्मा जी केयहा बहुत मेहमानथे, दूसरी जगहभी बहुत कामथाबस एककप चाय पीलादे, अभी ठीकहो जायूंगी..! राधाने किसी तरहअपने बेटे कोतो समझा दिया, पर वो जानतीथी, की इतनेसालो से येकाम करके अबवो थक चलीहै, हर दिनइतनी सारी मेहनतकरने के बादबस इतना हीपैसा आता था, की जैसे तैसेघर का खर्चाचलता था,…बचपनसे यही संघर्षदेखा था, राधाने…!
परिवार मे बहने थी, औरविधवा माँ..यूँतो माँ कीभी बहुत इच्छाथी, की उनकीबेटियाँ पढ़े, जो उनकेसाथ हुआ होउनकी बेटियों केसाथ हो, पर आर्थिक तंगीके चलते येकभी हो नहीपाया..राधा कोभी कम उम्रसे ही माँका हाथ बटानेलोगो के घरजाना पड़ता..झाड़ूपोछा, कपड़ाबर्तनकरते करतेजैसे तैसे माँने अपनी ज़वाबदारियापूरी की, औरअपनी ज़वाबदारियाँ पूरीहोते ही माँका देहांत होगया!
 “माँ, तुम्हारे बिना ज़िंदगीबहुत मुश्किल है…”आज भीयाद है राधाको माँ केजाने के गमने किस तरहतोड़ दिया थाउसे, और दुखइसलिए भी ज़्यादाथा, क्योकि सभीबहनो मे राधाही सब सेज़्यादा करीब थीमाँ के..यूँतो माँ केबड़े सपने थेराधा को लेकरपर असल मेऐसा कुछ हुआनही था, राधाकी ज़िंदगी मेशादी कीतो पति शराबीनिकाला, कम उम्रमे बच्चोकी माँ बनगयी थी वो..कभी अपनादुखदर्द यूँतो माँ कोबताती नही थी, पर माँ कीबाते उसे हमेशाहर परिस्थिति सेलड़ने की हिम्मतदेती थी!
क्याहुआ माँ..येलो चायसोहनकी आवाज़ सेवर्तमान मे गयी थी वो…”कुछ नहीबेटा, बस आजतो नानी कीयाद गयी..”कह करराधा की आँखेझलझला गयी! माँके जाने केबाद ज़िंदगी कासंघर्ष और भीबढ़ गया था, बहुत समझती अपनेपति कोकुछकाम करे, शराब पिए, परकुछ असर नहीहोता था उसपर, पिछले कुछमहीनो से तोघर का रूख़भी नही कियाथा उसने!
अपनी .माँ कीतरह लोगो केघर काम करकेकिसी तरह घरका खर्चा तोचल रहा था, पर बच्चो कीपढ़ाई, उनकी फीसबस एकही लक्ष्य था, किसी भी तरहबच्चो को अच्छेसे पढ़ाना है, उन्हे काबिल बनानाहै, ताकि उन्हेअच्छी ज़िंदगी नसीबहो, उन्हे येदिन ना देखनेपड़ेपर अभीतो कोई राहमिलती दिखती नहीथी!
माँ, कल स्कूल कीफीस का आखरीदिन है…” सोनियाने स्कूल सेआते ही कहा! “हाँ, बेटा करतीहूँ इंतज़ाम…” सोचाशर्मा मेडम सेअड्वान्स ले लूँगी! मेडम जी नेकुछ पैसे दिएतो पर साथही हिदायत भीदे डाली..”अबकीबार दे रहीहूँ, पर अगलीबार से येसब नही चलेगा“..मेडम जीके कड़े शबदघर आने केबाद भी राधाके कानो मेगूंजते रहे! कुछदिन बीते हीथे की रविको भयकर चेस्टइन्फेक्षन हो गयाथा, इस बारइलाज़ का खर्च…!
बढ़ती परेशानियो से अंदरही अंदर टूटतीजा रही थी, राधा! ना कोईमदद..ना कोईसहारा..थी तोबस एक उम्मीदअपने बच्चो कोअच्छे से बड़ाकरने कीउनकाभविष्य सँवारने की! दिनरात इसी चिंतामे जिए जारही थी वो, कीएक दिनकुछ चमत्कार साहुआराधा अचानकढेर सारा सामान, कपड़े, मिठाई, फल, बीमारबच्चे की दवाइयाँलेकर घर पहुँची..हालाँकि मन अंदरसे डरा हुआथा, पर चेहरेपर आत्मविश्वासकी झलक थी!
पता नही था, बच्चे खुश होंगे? या सवाल करेंगे? “अरे! माँ इतनासारा सामान…” क्यानया काम मिलाहै, तीनो बच्चोने एक साथपूछा? “हाँ ऐसाही समझो…” राधाने कहा! ” कलस्कूल जाकर तुम्हारीफीस भर देतीहूँ, और ज़रूरतहो तो tuition भीशुरू कर देतेहैराधा काउत्साह अपनी चरमसीमा पर था

, “अच्छा, माँ..” रवि और सोनियाने तो हाँभरी, पर सोहनजो की उम्रमे सब सेबड़ा था वो ये सब बाते आसानी से पचा नही पा रहा था..एक साथ इतना पैसा, ज़रूर माँ कुछ छुपा रही है, कही कुछ ग़लत…नही नही ऐसा कभी हो सकता, माँ ऐसा कुछ कर ही नही सकती, उस समय तो सोहन ने अपने आप को समझा लिया..पर अंदर ही अंदर संदेह का कीड़ा उसे हर दिन परेशान करता रहता था..सोच रहा था, एक दिन मौका देख कर माँ से सब कुछ पूछूँगा!

ज़िंदगी बदल रही थी, सब कुछ ठीक हो रहा था, पैसो की आवक से बच्चो की पढ़ाई, कपड़े सब को स्तर बदल गया था..और ये सब हुए अभी महीना भी नही हुआ था, की आस-पास के लोगो को राधा और उसके बच्चो की खुशी खलने लगी थी, और बात-बेबात हर कोई उस पर ताने कसने लगना था!

“क्या बात है राधा, कौन सा नया काम मिल गया है, हमे भी बता, तेरी तो रौनक ही बदल गयी है,…”साथ मे काम करने वाली गौरी कुछ अलग ही स्वर मे बोली! राधा उसे कुछ बताती, उसके पहले ही कुछ लोगो की बाते तो हदे ही पार करने लगी! “कही कुछ ग़लत तो नही कर रही तू…” पड़ोस की सुषमा ताई बोली! “इतना पैसा एक साथ…”

और इसी तरह ही कई सारी बातों ने राधा के घर मे तनाव घोल दिया था, सोहन जो पहले से ही कुछ परेशान था, ये सब देख कर राधा से कटा-कटा रहने लगा! और इन्ही परिस्थितियों के चलते एक दिन तो हद ही हो गयी…जन्माष्टमी का त्योहार आया..मोहल्ले मे जशन का माहौल था, राधा और उसके बच्चे भी इस मे शामिल हुए और मौका देखते ही सुषमा ताई ने राधा को केंद्र बना कर फिर वही बाते पूरे मोहल्ले वालो के सामने कही, “राधा, आज तो तुझे तेरे नये काम के बारे मे बताना ही होगा..बता करती क्या है तू…”

 सारे लोगो का ध्यान सुषमा ताई के तीखे शब्दो की तरफ चला गया..और साथ ही सोहन भी बोला..”हाँ माँ, मे भी आज सारी सच्चाई जानना चाहता हूँ”! सोहन के शबद सुन कर राधा बोली, “मे कोई ग़लत काम नही कर रही हूँ, मे तो खुद ही आप सबको अपने काम के बारे मे बताना चाहती थी, पर समझ नही आ रहा था, कैसे कहूँ!” पर आज कान्हा जी ने खुद ही आकर मुझे रास्ता दिखा दिया है, आज राधा की आवाज़ मे ग़ज़ब का आत्म-विश्वास था…!

आप सब को पता ही है ना, कान्हा जी की दो माए थी, देवकी और यशोदा..पैदा उन्हे देवकी ने किया था और पाला यशोदा ने, यशोदा जी के मातरत्व मे कोई कमी नही थी, भले ही उन्होने कान्हा जी को जनम नही दिया था, आज हमारे समाज मे भी ऐसी कई महिलाए है, जो किसी कारणवश माँ नही बन सकती, समाज उन्हे बांझ कहता है, और उनका मन हर पल बच्चे के लिए, मातरत्व के लिए तरसता है, आज विज्ञान ने बड़ी उन्नति कर ली है, वैज्ञानिक प्रकिया के ज़रिए ये महिलाए भी माँ बन सकती है, बस उन्हे ज़रूरत होती है, किसी दूसरी महिला की मदद की, उसकी कोख की, जहाँ उनकी आने वाली संतान पनप सके…इसे “सरोगेसी” कहते है, हाँ, मेने अपनी कोख किराए पर दी है…एक माँ बनने की खुशी को तरसती महिला की मदद के लिए…और साथ ही अपने बच्चो की खुशी और बेहतर भविष्य के लिए!

राधा लगातार बोले जा रही थी, और आस-पास खड़े लोग हक्के-बक्के होकर उसकी बात सुने जा रहे थे! “पर मां, आप को ये सब कैसे पता चला…सोहन ने पूछा?

“बेटा, शहर की सबसे बड़ी gynecologist डॉकटर पटेल ने ये मुहिम चलाई है, जिसके दवारा वो बांझ महिलाओ और आर्थिक रूप से कमज़ोर औरतो के के बीच कड़ी बन कर दोनो की मदद करना चाहती है, मेरी तरह और कई औरते भी इस पुण्य काम को कर के अपने परिवार और बच्चो के सपने पूरे कर रही है..और मुझे गर्व है की मे इस मुहिम का हिस्सा हूँ!

मोहल्ले के सारे लोग राधा की बाते सुनकर सन्न रह गये…आज सभी को अपने अपने जवाब मिल गये थे..यूँ तो ज़माने के दस्तूर के हिसाब से कोई राधा की तारीफ कर रहा था, तो कोई उसकी बुराई…!पर सोहन, रवि और सोनिया  ने भाग कर अपनी माँ को गले लगाया..आज राधा को भी तसल्ली हो गयी थी की उसके बच्चे उसके साथ है, अब उसे ज़माने की कोई परवाह नही है!

यूँ तो आज भी हमारे समाज मे सरोगेसी सर्व प्रचलित नही है, और कई सारे लोग अभी इसे लेकर सन्देहित रहते है, पर गुजरात के आनंद मे डॉक्टर पटेल ( जो की एशिया की जानी-मानी gynecologist है) सचमुच ये मुहिम चलाकर दो पक्षो की महिलाओ की मदद कर रही है, उनके इस प्रयास से कई बांझ महिलाए माँ बनने का सुख उठा पा रही है, और कई ग़रीब महिलाए अपने परिवार को आर्थिक संबल दे पा रही है, मेरा शत-शत नमन है, उन्हे! आपका क्या ख्याल है, प्लीज़ सांझा कीजिए!

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