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कोख किराए से…
“क्याहुआ माँ?…बहुतथक गयी होशायद…” सोहन नेकाम पर सेलौटी अपनी माँराधा से पुछा! “हाँ, बेटा..आज तोशर्मा जी केयहा बहुत मेहमानथे, दूसरी जगहभी बहुत कामथा…बस एककप चाय पीलादे, अभी ठीकहो जायूंगी..! राधाने किसी तरहअपने बेटे कोतो समझा दिया, पर वो जानतीथी, की इतनेसालो से येकाम करके अबवो थक चलीहै, हर दिनइतनी सारी मेहनतकरने के बादबस इतना हीपैसा आता था, की जैसे तैसेघर का खर्चाचलता था,…बचपनसे यही संघर्षदेखा था, राधाने…! परिवार मे ५बहने थी, औरविधवा माँ..यूँतो माँ कीभी बहुत इच्छाथी, की उनकीबेटियाँ पढ़े, जो उनकेसाथ हुआ होउनकी बेटियों केसाथ न हो, पर आर्थिक तंगीके चलते येकभी हो नहीपाया..राधा कोभी कम उम्रसे ही माँका हाथ बटानेलोगो के घरजाना पड़ता..झाड़ू–पोछा, कपड़ा–बर्तन…करते करतेजैसे तैसे माँने अपनी…
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माँ मुझे भी जीना है…”अनसुनी चीख”- A Real Story
“सारिकाआज याद है, ना शाम ४बजे डॉक्टर कीappointment है, टाइम परतैयार हो जाना“, कवितदेवी ने आदेशभरे स्वर मेअपनी बहू सारिकाको कहा! “ठीकहै, मम्मीजी…” कहकर सारिका केदिल की धड़कनऔर भी तेज़हो गयी, क्योकिये पहला मौकानही था, जबडॉक्टर और क्लिनिकके नाम सेउसकी चिंता औरघबराहट बढ़ गयीथी, ये डरपिछले कुछ सप्ताहोसे चल हीरहा था, जबसे प्रेग्नेन्सी रिपोर्टपॉज़िटिव आई थी! यूँ तो कहनेको और लोगोके लिए येसारिका की दूसरीप्रेग्नेन्सी थी, परअसल मे सारिकाऔर उसकी फॅमिलीवाले ही येजानते थे, कीरिंकी के जनमके बाद येचौथा मौका था, जब सारिका प्रेग्नेंटथी…! “मम्मीक्या हुआ…क्याइस बार हॉस्पिटलसे मेरा भाईआने वाला है..रिंकी ने मासूमियतसे पूछा? “पतानही बेटा…बसइतना ही कहपाई, सारिका अपनीप्यारी बिटिया से..! अपनेअंदर पनपती नन्हीज़ान की अहसासने सारिका…
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आख़िर क्यो “शादी” ही है, औरतो की ज़िंदगी का सबसे बड़ा सच?
“बहुतबहुत बधाई शुश्रिकोमल नागर को, जिनके कार्यकाल मेहमारे स्टेट नेइतनी एतिहसिक प्रगतीकी है…अभूतपूर्व५ साल काकार्यकाल…और संचालककी इसी घोषणाके साथ पूराहाल तालियों सेगूँज उठा! औरजैसे ही सुश्रीनागर अपना व्यक्त्य्वव्यक्त करने आई, खुशी के आसूआखों मे झिलमिलाउठे! “ये सबआपके साथ औरसहयोग से हीसंभव हुआ है“..स्ंक्षिप्त शब्दो मेउन्होने अपना भाषणसमाप्त किया! आज कारकी तरफ़ लौटतेहुए कोमल कुछथका हुआ सामहसूस कर रहीथी, अनेकानेक उपलब्धियाँथी उनके नाम, कई सारे अवॉर्ड, प्रशस्ति पत्र….पर… पर मन बहुतडर रहा था..कई सारेसवाल ज़ेहन कोपरेशान कर रहेथे! यूँ तोउम्र के ३८वे बरस मेथी कोमल परफिर भी जबभी नयी जगहपोस्टिंग होती, इसी तरहपरेशान हो जातीथी वो..औरपरेशानी की वजहभी कोई शासकीयया प्रशासनिक नहीथी, वजह थीसामाजिक, यूँ तोएक उच्चधकारी होनेसे समाज मेउनका रुतबा…