अधूरे सपनो की नयी उड़ान
रिया आज सुबहसे कुछ ज्यादाही उदास थी, यूँ तो ज़िन्दगीमें सब कुछठीक ही चलरहा था, दोप्यारे बच्चे , प्यार करनेवाला पति …परफिर भी कुछकुछ दिनों केअंतराल से रियाका मन खिन्नहो जाता था, लगता था ज़िन्दगीकुछ मैकेनिकल सीहो गयी hai, वहीघर का कामवही रूटीन…”अरे११ बज गए, अभी तो घरका सारा कामबाकि है औरशॉपिंग भी करनेहै कुछ जरूरीचीज़ो की …जैसेतैसे तैयार होकररिया ने सब्ज़ीऔर कुछ जरूरीसामान लेकर घरपहुंचि ही थी, मन एक बारफिर पुरानी यादोमें खो गयाथा !
शादीके १० सालोमे कई तरहके उतार–चढ़ावदेखे थे रियाने, घर कीलाड़ली रिया हरबात में ावलथी, पढाई लिखाईसे लेकर आर्ट, म्यूजिक, डांस हरविधा का हुनरथा उसके पास, और साथ हीमन मे इच्छाथी, ज़िन्दगी मेकुछ बनना है, कुछ कर दिखानाहै , और होताभी क्यों नये जुनून रियाके मम्मी पापाने उसे जागतीआँखों से सपनेदेखना जो सिखायाथा और साथही हौसला दियाथा अपने आपपर भरोसे का! आज भी रियाको याद हैजब वो छोटीथी तो पापाहमेशा कहते रहतेथे “”zindagi मेकोई काम मुश्किलनहीं है, यदिउसे पूरी मेहनतऔर शिदअत केसाथ करो ” औरइसी बात कोमान कर औरइसी ज़ज़्बे कोसलाम कर रियाने अपना बचपनजिया था ! घर, परिवार, स्कूल, दोस्तों सबके बिच सबसेलोकप्रिय और हरबात मे सबसे आगे रहने वालो मैं से थी रिया …और धीरे धीरे समय पंख लगा कर उड़ता गया और रिया सारे पढ़ावो को खूबसूरती से पार कर कॉलेज मैं आ पहुंची !
“ट्रिंग ट्रिंग ” डोर बेल की आवाज़ से रिया की तन्द्रा भंग हुई , राधा आज फिर देर से आयी थी काम पर…कुछ ग़ुस्सा, कुछ फ़्रस्टेशन…जैसे तैसे राधा को काम समझाया …और फिर निगाह पड़ी शॉपिंग के सामान पर, “अरे! अभी तो ये भी ठीक से रखना है ..फिर नाश्ते के तैयारी बच्चे भी स्कूल से आ जायेगे …यूँ तो वो जानती थी की ये सारे काम जरूरी है और उसे अपने परिवार का अच्छेसे ख्याल रखना पसंद भी था, फिर भी…पता नहीं…
इतने मे यादआया आज तोकबाट भी क्लीनकरनी है औरकाम करते करतेअचानक सालो पुरानीकॉलेज की फाइलहाथ आ गयीऔर एक बारफिर रिया पुरानीयादो मे खोगयी ! “the best student of the year is Ria khanna ” औरसारा हॉल तालियोंकी गड़गड़ाट सेगूंज उठा, रियामां–पापा काआशीर्वाद लेकर अपनीज़िन्दगी का सबसेकीमती अवार्ड लेनेस्टेज पर पहुंची, “रिया हमें तुमसेबहुत उम्मीदे है, तुम हमारे कॉलेजका नाम बहुतरोशन करोगी “” प्रिंसिपलसर के आशीर्वचनसुन कर रियाका मन भरआया था .
यूँ तो बचपनसे कई अवार्डरिया को मिलेथे , पर आजइस सर कीबातों को सुनकरउसे लग रहाथा ये कॉलेजका आखरी सालहै , बस अबज़िन्दगी की असलीपरीक्षा शुरू होनेवाली है , अबसचमुच अच्छा करदिखाना है , कईसारे पेशेंट ठीककरने है , इंटरनेशनलकॉन्फरन्स अटेंड करनी है, हायर स्टडीज की तैय्यारीभी करनी है, अपने मम्मी पापा टीचर्ससभी का सपनापूरा करना है, बचपन की तरहअभी भी हज़ारोसपने थे, रियाकी आखों मेऔर मन मेपूरा विश्वास था, उन्हे पूरा करनेका!
परशायद होनी कोकुछ और हीमंज़ूर था, वक़्तने करवट बदलीऔर कुछ हीसमय मे रियाकी ज़िंदगी केमायने बदल गये, पापा को अचानकबिज़्नेस मे बड़ानुकसान हुआ औरइसी सदमे सेउन्हे असमय हीहार्ट अटॅक आगया, रिया कीकुंडली दोष औरअपनी बीमारी केडर से उन्होनेजल्दबाज़ी मे रियाका रिश्ता तयकर दिया, उन्हेडर था, कहीउनके रहते रियाअपनी ज़िंदगी कीनयी शुरुआत करले, हालाँकि दिलकी इच्छा तोयही थी, कीपहले रीयाअपना कॅरियर सेटकर ले, परअचानक बदली स्थितियोने सबको मज़बूरकर दिया, औरसमज़ीक दबाव के चलते रिया को रिश्ते के लिए हाँ कहनी पड़ी, और शादी के बाद ही शुरू हो गया उन तमाम उलझनो का सिलसिला ज़िन्होने कभी ख्तम होने का नाम ही नही लिया!
अचानक आई घर-ग्रहस्ती की ज़िमेदारियो से रीया घबरा सी गयी थी, यूँ तो वो पूरी कोशिश कर रही थी, की इस नयी ज़िमेदारियो को अच्छे से निभाए पर सासू माँ का हर दिन का ताना “इतना भी नही सिखाया तुम्हारी माँ ने ” से लेकर “कोई काम ठीक से नही करती हो” उसके मन को परेशान कर देता था, हर दिन घरेलू तनाव और झगड़ो से अपने सपनो के टूटने की कसक दिल मे गहरी टीस देती थी!
एक बार तो लगा की कह दे की “ये सब ही मेरी दुनिया नही है” पर माँ-पापा के संस्कारो ने कोई कदम नही उठाने दिया! कभी सास-बहू के झगड़े तो कभी घर के कामो का बोझ बस यही ज़िंदगी रह गयी थी, बीच मे लगा किसी तरह अपना कॅरियर फिर से शुरू करू या माँ-पापा को यहाँ के हालत बताकर उनसे मदद लूँ, पर पापा की तबीयत के चलते कभी उन्हे अपने मन की बात नही बताई, हमेशा यही कहती रही की “सब ठीक है, सब ठीक है”, जब कभी रवि को अपना सब कुछ मानते हुए अपने दिल की बात बताती, तो “ये सब तो अड्जस्ट करना ही होगा…” कह कर वो बात ख़तम कर देता था, कुछ जगह इंटरव्यू भी दिए, पर रवि की बदलती नौकरी और फिर प्रेग्नेन्सी के चलते रिया की ज़िंदगी चार-दीवारी मे क़ैद होकर रह गयी!
दिन गुज़रते गये और साल भी…घर, बच्चे, बीमारियो, परेशानियो से जूझते-जूझते रिया दो बच्चो की माँ बन गयी थी, धीरे-धीरे ज़िंदगी मे बाकी सब तो ठीक हो ही गया था, पर ये सब करते करते कई साल गुजर गये थे, आज रिया सिर्फ़ “आशु-निशु की मम्मी” और “श्रीमती शर्मा ” के नाम से समाज मे जानी जाती थी, “The Topper ria khanna” कही खो गयी थी, गुमनामी मे!
“दीदी, काम पूरा नही करना है, क्या?” राधा की आवाज़ से रिया वर्तमान मे लौट आई, “करना है, ना..”हड़बड़ा कर रिया ने घड़ी की तरफ देखा, अभी तो डिन्नर बाकी है, कपड़े भी प्रेस करने है, और टिफिन की तैयारी भी…” रोज़ यही सब तो करती हो, हाँ मेरा परिवार है, उनकी ज़रूरते है..पर पता नही अधूरे सपनो के पूरा ना होंने की कसक दिल को क्यो इतना परेशान करती थी !
यही सब सोचते-सोचते रिया बालकनी मे आई, रोज़ शाम उड़ते परिंदो को अपने घर की तरफ लौटते देखना उसे बहुत पसंद था, पर आज तो कुछ अद्भुत ही हुआ, उड़ान भरते हुए अचानक एक एक छ्होटा परिंदा उड़ान भरतेः हुए गिर गया, रिया का मन ये सब देख बहुत घबरा गया, उसे लगा इस नन्हे परिंदे का सफ़र यही ख़तम हो गया, पर कुछ देर मे ही उस नन्हे परिंदे ने अपने आप को सभाला, फिर से कोशिश की, और कुछ ही देर मे उसने फिर से उड़ान भरी, देखते ही देखते वो आकाश मे गर्व से नयी उड़ान भरने लगा, ये देख रिया की खुशी का ठिकाना नही रहा…और कुछ ही मिंन्टो मे इस नन्हे परिंदे ने उसे नई राह भी दिखा दी थी, उसने सोचा, जब ये नन्हा सा परिंदा घायल होने के बाद हिम्मत नही हारता है, फिर से कोशिश कर के अपनी नयी उड़ान भरता है, तो क्या मे फिर से अपने अधूरे सफ़र को फिर से नही शुरू कर सकती?
यदि मे भी कोशिस करूँ तो फिर से अपने अधूरे सपनो को पूरा कर सकती हूँ, आज मे अपने आप से वादा करती हूँ की मे फिर से, पूरे दिल से नयी राह तलाश करूँगी, फिर से नयी उड़ान भरूगी! आज रिया के चेहरे पर वो पहले वाली मुस्कान थी, और आवाज़ मे पहले वाला आत्म-विश्वास, पता नही थी, मंज़िल मिलेगी या नही पर इस नयी सफ़र की शुरआत से ही वो आज अपने आप को संपूर्ण महसूस कर रही थी!
क्या आपने भी सहा है, किसी अधूरे सपने के टूटने का दर्द? क्या आपने भी कोशिश की है, नयी उड़ान भरने की? क्या है आपका विचार, प्लीज़ सांझा कीजिए! .